Sunday, August 3, 2025
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नौकरशाही में नई ऊर्जा का संचार कर गया पहली बार राज्य में आयोजित हुआ 3 दिनी चिंतन शिविर

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने का लक्ष्य लेकर चल रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर प्रदेश में पहली बार आयोजित हुआ तीन दिवसीय चिंतन शिविर राज्य की नौकरशाही को एक नई ऊर्जा से लबरेज कर गया है। इस चिंतन शिविर में जहां कार्यप्रणाली की पुरानी जड़ता को खत्म करने का प्रयास हुआ तो साथ ही नौकरशाहों को चिंतन शिविर यह भरोसा भी देने में कामयाब रहा कि युवावस्था में खड़ा उत्तराखंड एक नए जोश के साथ एक नई सुबह देखने के लिए तैयार है।
प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली से बेहद प्रभावित हैं। यूं भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का देवभूमि से गहरा लगाव है और पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में विशेषरूप से पर्वतीय जिलों पर ध्यान केंद्रित कर ऑल वेदर रोड से लेकर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम गतिमान है। इन योजनाओं का सीधा लाभ पहाड़ की आर्थिकी को अभी से मिलने लगा है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नक्शे कदमों पर चलते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से राज्य में पहली बार आयोजित हुआ नौकरशाहों का चिंतन शिविर भी उसी तर्ज पर आयोजित हुआ जिस तरह पीएम मोदी केंद्र एवं इससे पहले गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए कर चुके हैं।
पहाड़ों की रानी मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में तीन दिनों तक चले चिंतन शिविर में राज्य के पर्वतीय जिलों को केंद्र में रखकर आगामी वर्षों का विकास का एजेंडा तय किया गया। शिविर में खासतौर से इस बात पर जोर दिया गया कि अब समय आ गया है कि जब हम देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर से इतर एक समग्र राज्य की सोच के साथ आगे बढ़ें। योजनाएं अगर केवल इन 3 जिलों के साथ ही पर्वतीय जिलों को ध्यान में रखकर बनेंगी तो न केवल बेरोजगारी बल्कि पलायन जैसी गंभीर समस्या भी खुद ब खुद गायब हो जाएगी। शिविर के पहले दिन जिस अंदाज में मुख्य सचिव श्री एसएस संधू ने अपने अनुभव को नौकरशाहों के समक्ष निचोड़ कर रख डाला तो युवा अधिकारियों को वह ये भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि उत्तराखंड उनके युवा जोश का इस्तकबाल करने के लिए तत्पर है। वहीं, उन्होंने जूनियर और सीनियर अफसरों में तारतम्य एवं योजनाओं को लेकर खुलकर निर्णय लेने की भी मंशा जाहिर की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पहले दिन के वक्तव्य और फिर दूसरे दिन एकाएक चिंतन शिविर में एक विद्यार्थी की तरह उपस्थित रहकर दर्शाया कि राज्य के टॉप माइंड द्वारा जो मंथन किया जा रहा था उससे निकलने वाले अमृत से उत्तराखंड का कोना-कोना तृप्त हो जाये। यह मुख्यमंत्री धामी के अपने अफसरों पर भरोसे का ही असर था कि तीन दिन तक चले चिंतन में अधिकारी इस कदर मशगूल हुए की निर्धारित समयसीमा को भी वे भूल बैठे। सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले मंथन शिविर में शत प्रतिशत उपस्थिति रात 8 बजे तक यह बता रही थी कि उत्तराखंड के नवनिर्माण में सब एकजुट हैं।
तीन दिनों तक चले चिंतन शिविर में पर्वतीय जिलों पर फोकस करते हुए बागवानी, पर्यटन, हाइड्रो पावर, योगा, कृषि आधारित सेक्टरों को बढ़ावा देने की दिशा तय हुई।

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