डा बृजेश सती/ वरिष्ठ पत्रकार I
उत्तराखंड की सियासत में रोज नया घटनाक्रम सामने आ रहा है । पिछले सप्ताह जिस तरह दो सेटिंग विधायकों ने भाजपा का दामन थामा , उससे आने वाले दिनों में यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावनाएं हैं । कयासों के दौर के बीच में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं । हालांकि किशोर उपाध्याय ने इस तरह के किसी भी कदम से साफ इनकार किया , मगर उनकी नाराजगी भी इस पूरे घटनाक्रम को हवा दे रही है।
बदले सियासी परिवेश में भाजपा आलाकमान ने चुनावी प्रबंधन अपने नियंत्रण में ले लिया है। उत्तराखंड की सियासत का केंद्र अब राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का आवास व कार्यालय सिफ्ट होता नजर आ रहा है। जिस तरह से पिछले 1 सप्ताह में पहले धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह और पुरोला के विधायक राजकुमार ने भाजपा ज्वाइन की, उससे संभावना है कि आने वाले दिनों में राज्य के कुछ प्रभावशाली नेता, पूर्व विधायकों व विपक्षी संगठन से जुड़े नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
ताजा राजनीतिक घटनाक्रम राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के ट्विट से शुरू हुआ। इसमें बलूनी ने राज्य की एक प्रख्यात शखसियत के भाजपा ज्वाइन करने की बात कही । कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस से नाराज चल रहे है पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भाजपा में जा सकते हैं । उनकी इस नाराजगी को कुछ दिन पूर्व उनके मीडिया में आए बयान से भी जोड़ा जा रहा है। इसमें उन्होंने पार्टी आलाकमान द्वारा उनकी अनदेखी की बात कही गई थी। हालांकि इस संदर्भ में किशोर उपाध्याय ने साफ किया कि कि वे दिल्ली में मौजूद जरूर हैं, लेकिन उनके भाजपा में जाने की अटकलें केवल मीडिया की देन है। किशोर उपाध्याय की नाराजगी के कुछ कारण हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के चयन में उनको खास तवज्जो नहीं मिली। जबकि वह खुद पद के प्रबल दावेदार थे । इसके अलावा उनके करीबियों की भी अनदेखी से आहत हैं ।अब सवाल यह उठता है कि यदि किशोर उपाध्याय भाजपा में जाते हैं तो क्या उनके साथ उनके करीबी भी भाजपा में जाएंगे । यदि ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है । क्योंकि किशोर गांधी परिवार के काफी करीबी रहे हैं । उन्होंने राजनीति का ककहरा गांधी परिवार के सियासी परिवेश में ही सीखा है। किशोर राज्य एक ब्राह्मण चेहरा होने के अलावा संगठन स्तर पर भी उनकी पकड़ मजबूत है। टिहरी से दो बार विधायक रहने के कारण जनपद में उनका काफी असर है । पिछला चुनाव सहसपुर विधानसभा सीट से लड़ चुके हैं । वन अधिकार को लेकर राज्य भर में चलाए गए आंदोलन के चलते उनका सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं से भी जुड़ाव है।
यह सब भविष्य के गर्भ में है । क्या किशोर उपाध्याय भाजपा का दामन थामेगें या कांग्रेस में रहकर ही अपनी सियासी रणनीति को आकार देंगे।
उत्तराखंड की सियासत में रोज नया घटनाक्रम
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