Thursday, February 6, 2025
spot_img

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को व्यास मंदिर, भूपतवाला,हरिपुरकलां, देहरादून में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीया गोष्ठी’ के शुभारंभ सत्र में प्रतिभाग किया।

More articles

Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को व्यास मंदिर, भूपतवाला,हरिपुरकलां, देहरादून में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीया गोष्ठी’ के शुभारंभ सत्र में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री वेद व्यास मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश में सुख शांति की कामना की।

मुख्यमंत्री ने संगोष्ठी में देशभर से आए लोगों का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत भारती का हर सदस्य संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राज्य का गौरव है कि देववाणी संस्कृत देवभूमि उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा है।संस्कृत भाषा अभिव्यक्ति का साधन एवं मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी भी है। संस्कृत भाषा से ही मानव सभ्यताएं विकसित हुई हैं। ऋग्वेद को भी संस्कृत में लिखा गया था। आज यह भाषा साहित्य के अन्य क्षेत्रों में भी वृहद स्तर पर अभिव्यक्ति का साधन बन गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं उसे अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा गैरसैंण में आयोजित हुए विधानसभा सत्र के दौरान संस्कृत संभाषण शिविर चलाकर सभी मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों को संस्कृत बोलने के लिए प्रेरित किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रदेश में कक्षा 1 से 5 तक संस्कृत पाठशालाएं प्रारंभ की जा रही है। सभी बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर स्थित बोर्ड को हिंदी के साथ संस्कृत में लिखा जाए, इस प्रकार के प्रयास जारी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल के समस्त वेद, पुराणों और शास्त्रों की रचना संस्कृत में की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। उन्होंने कहा साहित्य से लेकर विज्ञान तक, धर्म से लेकर आध्यात्म तक और खगोलशास्त्र से लेकर शल्य चिकित्सा तक, हर क्षेत्र से जुड़े ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। हजारों साल पहले भारतीयों ने उत्कृष्ट ज्ञान के चलते पंचांग, ग्रहों और नक्षत्रों की जानकारी जुटा ली थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य भाषाओं की तुलना में संस्कृत के स्वर और व्यंजनो की संख्या अधिक है। संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसके शब्दों के आगे – पीछे हो जाने से वाक्य के भाव में कोई अन्तर नहीं आता। उन्होंने कहा संस्कृत भाषा का शब्द भण्डार भी बहुत वृहद है। उन्होंने कहा विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु के 1000 नाम लिखे गए हैं, ऐसे ही ललिता सहस्रनाम और शिव सहस्रनाम भी है। यह सिर्फ संस्कृत में ही संभव है कि किसी नाम के एक हजार पर्यायवाची हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेकों यूरोपीय भाषाओं के अनेकों शब्द संस्कृत से ही प्रभावित दिखाई देते हैं। संस्कृत अत्यंत ही समृद्ध, सरल और व्यवहारिक भाषा है। उन्होंने कहा कई सदियों तक विदेशी आक्रांताओं का शासन होने के कारण हम अभी संस्कृत भाषा से दूर होते चले गए। हमें एकजुट होकर अपनी मूलभाषा देववाणी संस्कृत को पुनः मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना है। उन्होंने कहा निश्चित रूप यह कार्यक्रम इस दिशा में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा। उन्होंने कहा संस्कृत भारती संस्कृत को पुनः आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए भारत के साथ ही कई अन्य देशों में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहा है।

इस अवसर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, प्रो. गोपबन्धु , श्री दिनेश कामत, श्री के. श्रीनिवास प्रभु, श्रीमती जानकी त्रिपाठी, एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

-Advertisement-spot_img

-Advertisement-

Download Appspot_img
spot_img
spot_img
error: Content is protected !!