Thursday, January 30, 2025
spot_img

उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड में निहित है वैवाहिक शर्तों और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा तथा सामाजिक समरसता के विधिक प्रावधानों की स्पष्टता

More articles

Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड में निहित है वैवाहिक शर्तों और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा तथा सामाजिक समरसता के विधिक प्रावधानों की स्पष्टता

यह अधिनियम उत्तराखंड राज्य के संपूर्ण क्षेत्र में लागू होता है और उत्तराखंड से बाहर रहने वाले राज्य के निवासियों पर भी प्रभावी है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 342 व अनुच्छेद 366(25) के अंतर्गत अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों पर यह अधिनियम लागू नहीं होता तथा भाग XXI के तहत संरक्षित प्राधिकार/अधिकार-प्राप्त व्यक्तियों व समुदायों को भी इसकी परिधि से बाहर रखा गया है।

विवाह से संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित तथा सरल बनाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली जनहितैषी व्यवस्था का प्रावधान उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड अधिनियम, 2024 में किया गया है।

इसके के अंतर्गत विवाह उन्हीं पक्षकारों के मध्य संपन्न किया जा सकता है जिनमे से किसी के पास अन्य जीवित जीवनसाथी ना हो, दोनों मानसिक रूप से विधिसम्मत अनुमति देने में सक्षम हों, पुरुष कम- से- कम 21 वर्ष और महिला 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी हो तथा वे निषिद्ध संबंधों की परिधि में न हो।

विवाह के अनुष्ठान धार्मिक रीति – रिवाज या विधिक प्रावधानों के अंतर्गत किसी भी रूप में संपन्न हो सकते हैं परंतु अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले विवाहों का पंजीकरण 60 दिवसों के भीतर करना अनिवार्य है। जबकि 26 मार्च, 2010 से लेकर अधिनियम के लागू होने तक हुए विवाहों का पंजीकरण 6 महीने की अवधि के भीतर करना होगा। निर्धारित मानकों के तहत जो लोग पूर्व में नियमानुसार पंजीकरण करा चुके हैं हालांकि उनको दोबारा पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है फिर भी उनको पूर्व में किए गए पंजीकरण की अभिस्वीकृति (एक्नॉलेजमेंट) देनी होगी। 26 मार्च, 2010 से पहले या उत्तराखंड राज्य के बाहर संपन्न ऐसे विवाह, जिनमें दोनों पक्षकार तब से निरंतर साथ रह रहे हैं और सभी कानूनी योग्यताओं को पूरा करते हैं, वे (हालाँकि यह अनिवार्य नहीं है) अधिनियम लागू होने के छह महीनों के भीतर पंजीकरण कर सकते हैं।

इसी तरह, विवाह पंजीकरण की स्वीकृति एवं अभिस्वीकृति का कार्य भी समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाना आवश्यक है। आवेदन प्राप्त होने के बाद उप-निबंधक को 15 दिनों के भीतर उचित निर्णय लेना होगा। यदि 15 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर विवाह पंजीकरण से संबंधित आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता, तो वह आवेदन स्वतः निबंधक (Registrar) को अग्रेषित हो जाता है; वहीं, अभिस्वीकृति (Acknowledgement) के मामले में आवेदन उसी अवधि के पश्चात स्वतः स्वीकृत माना जाएगा।

साथ ही पंजीकरण आवेदन अस्वीकृत होने पर एक पारदर्शी अपील प्रक्रिया भी उपलब्ध है। अधिनियम के तहत पंजीकरण हेतु मिथ्या विवरण देने पर दंड का प्रावधान है तथा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पंजीकरण न होने मात्र से विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा। पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है।

इन प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार महानिबंधक, निबंधन और उप निबंधक की नियुक्ति करेगी, जो संबंधित अभिलेखों का संधारण एवं निगरानी सुनिश्चित करेंगे ।

-Advertisement-spot_img
-Advertisement-spot_img

-Advertisement-

Download Appspot_img

Latest

error: Content is protected !!