Wednesday, April 16, 2025
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राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल द्वारा आयोजित नॉर्थ जोन II रीजनल कॉन्फ्रेन्स के द्वितीय तथा समापन दिवस

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल द्वारा आयोजित नॉर्थ जोन II रीजनल कॉन्फ्रेन्स के द्वितीय तथा समापन दिवस पर आज दिनांक 13 अप्रैल 2025 को होटल हयात सेन्ट्रिक, राजपुर रोड, देहरादून में माननीय उच्चतम व उच्च न्यायालयों के माननीय न्यायाधीशगण तथा जिला न्यायालयों के सम्मानित न्यायाधीशगण द्वारा प्रतिभाग किया गया।
माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल द्वारा ई कोर्ट प्रोजेक्ट के संबंध में बताया गया कि उक्त प्रोजेक्ट न्यायालयों में चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है तथा कई मामले जैसे ऑनलाइन ट्रैफिक चालानों का वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से
शीघ्र निपटारा जा रहा है। न्यायमूर्ति जी द्वारा डेटा के माध्यम से बताया गया कि वर्तमान में न्यायालयों के लगभग 5.23 करोड़ आदेश/निर्णय अपलोड है , जिसमें से मात्र 2.18 करोड़ आदेश/निर्णय डाउनलोड किए गए है, जिससे दर्शित होता है कि वादकारियों में अभी भी जागरूकता की कमी है। इस संबंध में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने की जरूरत पर भी न्यायमूर्ति महोदय द्वारा प्रकाश डाला गया।
माननीय न्यायमूर्ति श्री एमo सुंदर द्वारा कहा गया कि वर्तमान में डेटा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है तथा डेटा के किन्ही परिस्थितियों में कोलैप्स होने की स्थिति में विकल्प के सम्बन्ध में भी विचार करना आवश्यक है।
इस संबंध में उनके द्वारा बताया गया कि हमें डेटा को एक से अधिक सर्वर में सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए। इस मौक़े पर उन्होंने ई – सेवा के सराहनीय कार्य की प्रशंसा भी की । उनके द्वारा कुछ विधिक अनुवाद करने वाले सॉफ्टवेयर के बारे में भी जानकारी दी गई।
माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा द्वारा ई सर्विस की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि जब भी सिस्टम में कोई बदलाव होता है तो मानव प्रकृति यही है कि उसे स्वीकार करने में समय लगता है। उनके द्वारा त्वरित न्याय और सशक्त न्याय के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा व श्री एमo सुंदर द्वारा वर्तमान में निर्णय /आदेश आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से तैयार करने के संबंध में तथा वर्तमान टेक्नोलॉजी के बारे में अपने विचार रखें गए तथा इस संबंध में भी प्रकाश डाला गया कि न्यायालयों द्वारा आदेश तैयार करने में किस सीमा तक एoआईo की सहायता ली जा सकती है तथा इसमें किन किन चुनौतियों का सामना करना होगा तथा विधिक रूप से होने वाली किसी हानि के लिए कौन जिम्मेदार होगा।वर्तमान में होने वाले ऑनलाइन हिंसा/दुर्व्यवहार का निपटारा किस प्रकार से किया जाना चाहिए, इस संबंध में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
इसके पश्चात अंत में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के न्यायमूर्ति श्री रविन्द्र मैठाणी जी द्वारा समापन टिप्पणी के साथ ही कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग करने वाले माननीय उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण का तथा जिला न्यायालयों के सम्मानित न्यायाधीशगणों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा प्रतिभागीगण के फीडबैक के साथ कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया।

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