Thursday, September 18, 2025
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आचार सहिंता लागू होने के बाद भी मनचाहे ट्रांसफर, शिक्षक आक्रोश में

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देहरादून :- उत्तराखंड विधानसभा की तिथि घोषित होने व आचार संहिता लागू होने के बाद भी सरकार अपने चहेतों के ट्रांसफर बैक डेट पर करवा रही है जिससे शिक्षक समाज आक्रोशित है। जब तबादला सत्र शून्य घोषित किया गया तो धारा 27 के तहत उन शिक्षको के तबादलों को अंजाम दिया गया जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं या विशेष पारिवारिक परिस्थिति के है।

समझते हैं कि धारा 27 ट्रांसफर एक्ट में क्या अनुच्छेद हैं –

धारा 27 उन शिक्षको व कार्मिकों के लिए एक वरीयता वाली धारा थी जिसमे गंभीर रोग ग्रस्त व विधवा विधुर, सेना में तैनात जवान की पत्नी या पति आदि को वरीयता देते हुए उनके तबादले करने की सुविधा दी गई थी। लेकिन धारा 27 की आड़ में उन लोगो के तबादले भी किये गए जो धारा 27 की योग्यता नही रखते थे। किसी को सिर्फ 10 वर्ष की दुर्गम की सेवा को तबादले का आधार बनाया गया हैं जबकि 20 21 वर्ष की दुर्गम सेवा के सैकड़ो शिक्षक हैं जो तबादलों की बाट जोह रहे हैं।

कुछ शिक्षको को विशेष पारिवारिक परिस्थिति का हवाला देकर तबादला किया गया हैं लेकिन सूची में परिस्थिति का उल्लेख छिपा दिया गया है। कुछ के तबादला सुची में पांच विद्यालयों के नाम लिखे गए हैं कि किसी भी विद्यालय में जॉइन कर सकते हैं। तो किसी के नाम के सम्मुख सिर्फ जनपद देहरादून के समीप के विद्यालय लिखा है।कुछ शिक्षको को विशेष पारिवारिक परिस्थिति का हवाला देकर तबादला किया गया हैं लेकिन सूची में परिस्थिति का उल्लेख छिपा दिया गया है। कुछ के तबादला सुची में पांच विद्यालयों के नाम लिखे गए हैं कि किसी भी विद्यालय में जॉइन कर सकते हैं। तो किसी के नाम के सम्मुख सिर्फ जनपद देहरादून के समीप के विद्यालय लिखा है।

हद तो तब हो गई जब एक ही विषय के पांच प्रवक्ताओं को एक ही विद्यालय में तबादले का आदेश जारी किया गया है।हद तो तब हो गई जब एक ही विषय के पांच प्रवक्ताओं को एक ही विद्यालय में तबादले का आदेश जारी किया गया है।

तबादलों के इस खेल को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट से इस बात की घोर निंदा की है  और कहा कि सरकार RSS से जुड़े शिक्षको के तबादले करवा रही है। हरीश रावत ने यह साफ नही किया कि उनका संकेत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से है या राजकीय शिक्षक संघ से । उन्होंने  चुनाव आयोग से बैक डेट पर निर्गत इन आदेशों पर संज्ञान लेने को कहा है।

बकौल जो भी हो शिक्षको में चुनावी मौसम में किये जा रहे इन तबादलों से सरकार के प्रति आक्रोश है जिसे वे आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुके हैं।

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