Sunday, November 24, 2024
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शुक्रवार की शाम गगनभेदी नारों के बीच गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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Vijaya Dimri
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Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com
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लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में शुक्रवार की शाम गगनभेदी नारों के बीच गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

योगी आदित्‍यनाथ की कैबिनेट में इस बार 52 मंत्री बने हैं। इसमें ब्राह्मण (8), ओबीसी (20), अनुसूचित जाति (8), जाट ( 5) और 6 ठाकुर मंत्री शामिल है. इसके अलावा भूमिहार, वैश्य, सिख, कायस्थ,पंजाबी और मुस्लिम समाज से भी मंत्री बने हैं। वैसे इस बार योगी के साथ दो उप मुख्यमंत्री, 16 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली है।

योगी ढाई दशक के अपने राजनीतिक सफर में पांच बार सांसद बने और उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली ली है। भगवाधारी, कानों में कुंडल और खड़ाऊ (चरण पादुका) पहनने वाले योगी के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था और इस भावना को उन्‍होंने गुरुवार को लोकभवन में विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने के बाद व्यक्त किया था। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से पहले 1985 में नारायण दत्‍त तिवारी ने लगातार दूसरी बार शपथ ली थी. तब तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और पूर्ण बहुमत मिलने पर उन्होंने (तिवारी ने) दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद किसी भी राजनीतिक दल को विधानसभा चुनाव में लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत नहीं मिला।

राज्य में 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार पांच वर्षों तक योगी ने सरकार चलाई और विधानसभा चुनाव में माफिया के खिलाफ इस्तेमाल किये गये ‘बुलडोजर’ को कार्यकर्ताओं ने योगी का प्रतीक बना दिया। विरोधियों खासतौर से समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘बुलडोजर’ को लेकर निशाना साधा तो समर्थकों ने योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ की उपाधि दे दी। विश्लेषकों के अनुसार 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने से योगी के सियासी कद को और बड़ा कर दिया है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने ऐसे फैसले लिए जिनसे हिंदुत्व के ‘चेहरे’ के रूप में उनकी छवि की पुष्टि हुई. अपने कार्यकाल की शुरुआत में, उन्होंने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगा दिया और पुलिस ने गोहत्या पर नकेल कसने का दावा किया। उनकी सरकार बाद में जबरन या धोखे से धर्मांतरण के खिलाफ पहले अध्यादेश और फिर विधेयक लेकर आई। बाद में भाजपा शासित अन्य राज्यों ने भी इसे अपने तरीके से अपनाया। विपक्षी दल योगी पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन योगी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ का पालन करते हैं। हालांकि वह यह भी दावा करते रहे कि विकास सबका होगा लेकिन किसी भी वर्ग का तुष्टिकरण नहीं किया जाएगा। योगी ने करीब ढाई दशक के अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार गोरखपुर से ही विधानसभा का चुनाव लड़ा था और एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।

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