Friday, November 29, 2024
spot_img
spot_img

सिल्क्यारा विजय अभियान पुस्तक एंव अन्य पुस्तकों का विमोचन

More articles

Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com
- Advertisement -ad-msme-Middle
- Advertisement -width="500"

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित ‘सिलक्यारा विजय अभियान’ प्रथम वर्षगाँठ एवं 19वाँ राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन-2024 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने सिल्क्यारा विजय अभियान पुस्तक एंव अन्य पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान पर बनी लघु फिल्म का अवलोकन भी किया।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि यह अभियान राज्य आपदा प्रबंधन क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है। विश्व के पर्वतीय देशों के लिए यह उदाहरण है कि किस प्रकार से सिलक्यारा टनल में फँसने के बाद किस प्रकार 41 श्रमिकों को बचाव कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। यह धैर्य, लीडरशिप, कॉर्डिनेशन और अपने संकल्प को पूरा करने का बहुत बड़ा उदाहरण है। पूरे विश्व ने देखा है कि किस 17 देशों के एक्सपर्ट्स 41 फँसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का कार्य जिसमे एक भी श्रमिक को खरोंच तक नहीं आई। उन्होंने कहा कि इस विजय अभियान का डॉक्यूमेंटेशन किया जाना भी एक ऐतिहासिक कार्य है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। राज्यपाल ने कहा कि भारतीयों के अंदर जो क्षमता है, जिसे पूरी दुनिया ने कोविड के दौरान भी देखा था। इसके बाद सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों का बचाव कार्य भी इसका एक और उदाहरण है।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश को ईश्वर ने बहुत से प्राकृतिक संसाधनों से नवाजा है। अब इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारी है। उन्होंने कहा कि राजभवन में वाटर हार्वेस्टिंग पर कार्य किया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। उन्होंने आम जन से अपने आस-पास नौले धारों और प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण का आह्वान किया। राज्यपाल ने कहा कि हमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करना है जल प्रबंधन में ग्राम पंचायतों और नागरिक संगठनों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हमसे आग्रह किया है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि एक पेड़ माँ के नाम लगाकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि माताओं, बहनों में कुछ भी कर गुजरने की एक अद्भुत क्षमता है। हमें अपनी बहनों को आगे बढ़ाने में उनका साथ देना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष सिलक्यारा के सफल बचाव अभियान ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा था। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और सहयोग से 17 दिनों के अथक प्रयासों से सिलक्यारा टनल में फंसे हुए 41 श्रमिकों को सुरक्षित बचाया गया था। उन्होंने कहा पूरा विश्व और देश के लोग सिल्क्यारा के लिए दुवा कर रहा था। जो अभियान सामूहिक समर्पण और तकनीकी दक्षता की अनुपम मिसाल बना। जिसे अब आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अध्ययन और शोध का विषय भी माना जा रहा है। उन्होंने सिल्क्यारा के सफल रेस्क्यू के एक वर्ष होने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन बीते 19 वर्षों से प्रदेश में विज्ञान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये सम्मेलन शोध पत्रों के प्रस्तुतीकरण, सामाजिक महत्व के शोध, नवाचार और नीतिनिर्धारण जैसे गंभीर विषयों पर चिंतन का मंच भी है। हर वर्ष सम्मेलन में राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होती है, पिछले तीन वर्षों में हमने ग्रामीण विज्ञान, भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर नवाचार और शोध को प्रोत्साहित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष सम्मेलन में उत्तराखण्ड में जल एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जैसे प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ती हुए जनसंख्या को देखते हुए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा हमारा राज्य जल संपदा को संजोए हुए है। उन्होंने कहा इस सम्मेलन में राज्य और देशभर से आए वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन जैसे विषयों पर भी गहन मंथन होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत दशकों से नित नए कीर्तिमान स्थापित करता रहा है। कोरोना वैक्सीन से ब्रह्माण्ड के अबूझ रहस्यों तक, हम भारतीय विज्ञान को नए स्तर पर ले जाने का कार्य निरंतर कर रहे हैं। भारत ने समय समय पर अपनी वैज्ञानिक और बौद्धिक संपदा को सिद्ध करके दिखाया है। भारत के महान खगोलशास्त्री आर्यभट्ट, आचार्य कणाद, आचार्य नागार्जुन, महर्षि सुश्रुत जैसे अनेक लोग, भारत के वो वैज्ञानिक स्तंभ हैं, जिनके सिद्धांतों पर आज का आधुनिक विज्ञान स्थापित है। दुनिया को ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा देने का काम भारत ने किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनेकों कार्य हुए हैं। आज भारत में गुड गवर्नेंस के लिए विज्ञान और तकनीकी का व्यापक उपयोग हो रहा है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से हम उत्तराखण्ड में भी नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं। देहरादून में देश की पांचवीं साइंस सिटी का निर्माण तेजी से हो रहा है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में साइंस और इनोवेशन सेंटर, लैब्स ऑन व्हील्स, और STEM लैब्स के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना में महिलाओं की अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री ने सभी विश्वविद्यालयों और संस्थाओं से बालिकाओं को साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु विशेष प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा सरकार, राज्य की भौगोलिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए पर्यटन, कृषि और पर्यावरण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित कर रही है। हमारा प्रयास है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाए। उन्होंने कहा इस सम्मेलन के सभी सत्रों में मिले सुझावों को प्रदेश सरकार अमल में लाकर प्रदेश के समग्र विकास को गति प्रदान करेगी।

इस अवसर पर सचिव श्री नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, डॉ विनोद एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

- Advertisement -ad-msme-Middle
Uttrakhand yuva mathotasav
-Advertisement-spot_img

-Advertisement-

Download Appspot_img

Latest

error: Content is protected !!