Saturday, May 10, 2025
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जिला देहरादून में एक ही दिन में राष्ट्रीय लोक अदालत में 12675 मामलों का निस्तारण

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून के तत्वाधान में दिनांक 10 मई, 2025 को प्रातः 10.00 बजे से सायं 05.00 बजे तक जिला मुख्यालय देहरादून, बाह्य न्यायालय ऋषिकेश, विकासनगर, डोईवाला एवं मसूरी जनपद देहरादून के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
इस लोक अदालत में मोटर दुर्घटना क्लेम, सिविल मामले, पारिवारिक मामले, चेक बाउन्स से सम्बंधित मामलें व अन्य शमनीय प्रकृति के आपराधिक मामलें लगाये गये थे।
इस लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय प्रकृति के 106 मामलें, चैक सम्बंधी 719 मामलें, धन वसूली सम्बंधी 20 मामलें, मोटर-दुर्घटना क्लेम ट्राईबनल के 573 मामले पारिवारिक विवाद सम्बंधी 87 मामलें, मोटर वाहन द्वारा अपराधों के 11097 मामले एवं अन्य सिविल प्रकृति के 73 मामलों सहित कुल 12675 मामलों का निस्तारण किया गया तथा 145876878 रू० की धनराशि पर समझौता हुआ।

साथ ही बाह्य न्यायालय, विकासनगर के न्यायिक अधिकारियों द्वारा लोक अदालत में कुल 1163 मामलों का आपसी राजीनामे के आधार पर निस्तारण किया गया, जिसमें कुल 17125910 /- रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ तथा बाह्य न्यायालय ऋषिकेश के न्यायिक अधिकारियों द्वारा लोक अदालत में कुल 962 मामलों का निस्तारण कर कुल 16207043/- रूपये का राजस्व प्राप्त किया गया। बाह्य न्यायालय डोईवाला द्वारा 178 मामलों का निस्तारण कर कुल 312300/- रूपये का राजस्व प्राप्त किया गया तथा बाह्य न्यायालय मसूरी द्वारा 47 मामलों का निस्तारण कर कुल 406651/- रूपये का राजस्व प्राप्त किया गया।
इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के मामले भी निस्तारित किये गये। उक्त लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के 3754 मामलों का निस्तारण किया गया तथा 25353999 रु० की धनराशि के सम्बंध में समझौते किये गये।

सचिव/वरिष्ठ सिविल जज, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून श्रीमती सीमा डुँगराकोटी द्वारा अवगत कराया गया कि लोक अदालतें सरल व त्वरित न्याय प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है, लोक अदालतों में पक्षकार आपसी समझौते के आधार पर मामले का निस्तारण कराते है, ऐसे आदेश अंतिम होते हैं तथा पक्षकारों को उनके द्वारा दिया गया न्यायशुल्क भी वापस कर दिया जाता है।

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