Saturday, June 7, 2025
spot_img
spot_img

मुख्यमंत्री ने की आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की समीक्षा

More articles

Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में शासन के उच्चाधिकारियों एवं वीडिया क्रांन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास से संबंधित कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री से सभी जिलाधिकारियों से जनपदों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी को वरूणावत भूस्खलन क्षेत्र के तकनीकि अध्यनन् के लिए आई.आई.टी रूड़की एवं टी.एच.डी.सी. से सहयोग के निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में पूर्व में हुए अध्ययनों का भी संज्ञान लिया जाए ताकि लैंडस्लाइड जोन के उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो। उन्होंने जानकीचट्टी के आसपास के क्षेत्रों के उपचार एवं विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से भूस्खलन क्षेत्रों की सूची तैयार करने तथा बरसात समाप्त होते ही सड़क मरम्मत सहित अन्य पुर्ननिर्माण योजनाओं पर तेजी से कार्य किए जाने के लिए टेण्डर प्रक्रिया अविंलब प्रारंभ करने को कहा। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग के मरम्मत के साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों तथा रेनफाल की स्थिति की भी तकनीकि संस्थानों से अध्यनन कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले पुर्ननिर्माण कार्यों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन से संबंधित चेतावनी प्रणाली को विकसित किये जाने तथा आपदा की चुनौतियों का आपसी समन्वय से सामना किये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपदा मद में धनराशि की सीमा बढ़ाये जाने से निर्माण कार्य बेहतर ढंग से हो सकेंगे। आपदा पीड़ितो की सहायता एवं पुननिर्माण कार्यों के लिए धनराशि की कमी न होने देने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण विकास कार्य प्रभावित न हो इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने 7-8 जुलाई को सितारंगज टनकपुर बनबसा तथा तराई भाबर के क्षेत्रों में दशकों बाद भारी मात्रा में पानी जमा होने तथा बाढ़ की स्थिति पैदा होने की स्थिति के भी अध्ययन की जरूरत बताई। उन्होंने जल निकासी प्रणाली तथा ड्रेनेज सिस्टम को और प्रभावी बनाये जाने के भी निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों की जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए इसके रिस्पांस टाइम को और बेहतर बनाये जाने को कहा। उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों की तुरंत मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। हम आपदा को रोक तो नहीं सकते है, लेकिन उसके प्रभाव को पीड़ितो की मदद कर कम कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से वृक्षारोपण की रिपोर्ट तैयार करने तथा अमृत सरोवरों की स्थिति की भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा। सभी कार्य धरातल पर दिखाई दे, यह भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सितंबर में भी भारी वर्ष की संभावना के दृष्टिगत सभी अधिकारी सतर्क रहे तथा वर्षा के बाद होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार किये जाने के निर्देश दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन श्री विनोद कुमार सुमन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में आपदा की स्थिति, राहत, पुनर्वास तथा पुर्ननिर्माण से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आपदा मद में हुई धनराशि वृद्धि से क्षतिग्रस्त सम्पत्तियों, आवासीय भवनों, मूलभूत सेवाओं को सुचारू किये जाने तथा वृहद योजनाओं को भी पुननिर्मित करने में मदद मिलेगी।

बैठक में उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन श्री विनय रोहिला, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् श्री विश्वास डाबर, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु,, गढ़वाल कमिश्नर श्री विनय शंकर पाण्डेय, सचिव श्री आर. राजेश कुमार, श्री एस.एन.पाण्डेय, श्री रविनाथ रामन, डॉ पंकज कुमार पाण्डे, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बी.आर.ओ के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

-Advertisement-spot_img

-Advertisement-

Download Appspot_img
spot_img
spot_img
error: Content is protected !!