Saturday, February 8, 2025
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“वन जल ववज्ञान में प्रगति: चुनौतियाां और अवसर” पर एक दिवसीय वेबबनार का आयोजन

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

वन पाररस्थितिकी और जलवायुपररविनत प्रभाग, एफआरआई ने 18 फरवरी 2022 को “वन जल ववज्ञान
में प्रगति: चुनौतियाां और अवसर” पर एक दिवसीय वेबबनार का आयोजन ककया। इस वेबबनार का
उद्िेश्य वन जल ववज्ञान से सांबांधिि मुद्िों पर चचात और समझ ववकससि करना और वन जल ववज्ञान
के अनुशासन में अनुसांिान कायत की भववष्य की रणनीति ववकससि करना िा। वेबबनार में ववसभन्न
आईसीएफआरई सांथिान के वैज्ञातनकों, िकनीकी कमतचाररयों और एफआरआईडीयूछात्रों ने भाग सलया।
वेबबनार की शुरुआि डॉ. वी.पी. पांवार, प्रमखु , एफई एांड सीसी डडवीजन के थवागि भाषण सेहुई। तनिेशक,
एफआरआई और महातनिेशक, आईसीएफआरई, श्री अरुण ससांह रावि ने अपने उद्घाटन भाषण में बढ़िे
जल प्रिषूण पर धचिां ा व्यक्ि की। उन्होंने जोर िेकर कहा कक अन्य सांगठनों के साि सहयोग ककया
जाना चादहए और इन क्षत्रे ों में हाल की घटनाओां और अनुसांिान के बारे में सभी को अद्यिन रहना
चादहए। उनका कहना है कक बढ़िी आबािी के कारण जल सांसािनों पर बहुि िबाव हैऔर इस वजह
से भारि में अधिकाांश लोग पैकेज्ड पानी पीने को मजबूर हैं। इससलए, जल सांसािनों पर काम करने का
यह सही समय है और अन्य सांगठनों को भी सहकियात्मक प्रयासों के सलए आगे आना चादहए। अिीि
और वितमान में ककया गया कायत वाटरशेड के आिार पर है, जो एक पायलट अध्ययन की िरह िा,
इससलए ववथििृ अध्ययन की आवश्यकिा है।
िकनीकी सत्र की शुरुआि डॉ. अजातमित्त सारांगी, प्रिान वैज्ञातनक, जल प्रौद्योधगकी कें द्र, भाकृअनुपभारिीय कृवष अनुसांिान सथां िान (आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा “वन जलसांभर में जल बजट और
पाररस्थितिकी िांत्र सेवाएां” पर प्रथिुति के साि हुई। उन्होंने वन जल ववज्ञान के ववसभन्न घटकों पर
चचात की और जल पैरामीटर कृवष और ससचां ाई प्रणाली को कैसे प्रभाववि करिे हैं। उन्होंने तनलांबबि
िलछट भार को मापने के सलए ववसभन्न िकनीकों को भी समझाया। ववसभन्न िकनीकों जैसे, SEBA और
m-SEBAL से वाथिववक वाष्पीकरण डेटा प्राप्ि करने की कायतप्रणाली पर भी चचात की। उन्होंने बिाया
कक वन जलसांभरों की िुलना में कृवष में िलछट का नुकसान 10 गुना अधिक हैऔर उन्होंने बेल के
पेड़ यानी थ्रफू ॉल- 70-75%, थटेम फ्लो-3.-4% और ररसाव 21-26% पर अपने अध्ययन को भी ववथििृ
ककया। अगली प्रथिुति डॉ. सुसमि सेन, एसोससएट प्रोफे सर, आईआईटी रुड़की द्वारा प्रथिुिीकरण “वन
हाइड्रोलॉस्जकल प्रकियाओां की तनगरानी में अधिम” पर िी। उन्होंने वनों के जल ववज्ञान सांबांिी कायों
पर चचात की। उन्होंने ववसभन्न ढलानों में हाइड्रोसलक चालकिा, ररसाव और समट्टी की नमी के बीच
सांबांि को भी समझाया। उन्होंने ववसभन्न पररदृश्यों में क्षरण, अवसािन और बेडलोड पर तनष्कषों को भी
ववथििृ ककया और ववसभन्न पैमानों पर उपकरणों का ववथििृ उपयोग ककया। डॉ. परमानांि कुमार,
वैज्ञातनक-डी, एफआरआई िेहरािनू ने एफआरआई द्वारा ककए गए हाइड्रोलॉस्जकल अध्ययनों पर चचात
की और अिीि और विमत ान अध्ययनों की उपलस्धियों को प्रथिुि ककया। उन्होंने “केम्पप्टी वाटरशेड
(मसूरी) के जांगल द्वारा प्रिान की जाने वाली जल ववज्ञान सेवाओां का आकलन” पर अध्ययन के
तनष्कषों को ववथििृ ककया। वेबबनार, वन जल ववज्ञान के क्षेत्र में भववष्य के अनुसिां ान दिशाओां पर चचात
के साि समाप्ि हुआ और श्री एन बाला द्वारा सभी प्रतिभाधगयों और अतिधियों को िन्यवाि प्रथिाव
के साि सांपन्न हुआ। ।

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