Monday, November 25, 2024
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मेयर अनिता पर भाजपा की छवि धूमिल करने का है आरोप , नोटिस में देना होगा जवाब

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com
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ऋषिकेश  :  – उत्तराखंड में जैसे जैसे चुनाव  नजदीक आ रहे हैं। सियासी हलचल भी तेज हो रही है। ऐसे में पार्टियों के अंदर भी टिकटों की दावेदारी को लेकर नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। हर कोई एक दूसरे को नीचा दिखाने मे लग गया है ।इसी कड़ी में ऋषिकेश मेयर अनिता ममगाईं को पार्टी के आंतरिक मामलों को मीडिया में उछालना भारी पड़ गया। भाजपा ने उनके इस प्रकार की कार्यवाही से स्पष्ट तौर पर अनुशासनहीनता माना है। साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिसका  एक हफ्ते में जवाब देना है। माना यह भी जा रहा है कि अनिता के हाथ से मेयर की कुर्सी भी जा सकती हैं।

ऋषिकेश मेयर अनीता ममगाईं के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के पार्षदों ने मोर्चा खोल कर रखा दिया है। बीजेपी के पार्षद ही मेयर पर कई आरोप लगा रहे हैं। वहीं मंडल अध्यक्ष दिनेश सती के साथ भी उनकी खटपट चल रही थी। इन सभी मामलों में पौड़ी के पूर्व जिला अध्यक्ष मुकेश रावत शामिल बताए जा रहे हैं। एक दिन पहले मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाईं को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर महामंत्री कुलदीप कुमार के हस्ताक्षर से कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है। जिसमें अनुशासनहीता के मामलों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। पत्र में मेयर और पार्षदों के बीच विवाद के अलावा मंडल टीम व अध्यक्ष से समन्वय से जुड़ी बातों को मीडिया के जरिए सार्वजनिक किए जाना दर्शाया गया है। जिसे पार्टी ने धारा 25 (घ) के मुताबिक अनुशासनहीनता करार दिया है। बताया कि इससे न सिर्फ पार्टी की छवि धूमिल हुई है बल्कि इससे पार्टी की साख को भी क्षति पहुंची है।

मेयर से कारण बताओ नोटिस का एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है। जवाब न देने की स्थिति में मेयर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन, प्रदेश प्रभारी, सहप्रभारी उत्तराखंड, प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री संगठन को भी संलगन किया गया है। उधर, नोटिस के वायरल होने के बाद ऋषिकेश में मेयर और पार्टी के बीच के संबंधों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। हर कोई नोटिस दर्शाए गए विषयों के अलावा अन्य कारणों को खंगालने में लगा है। मेयर से इस बाबत बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन नहीं उठा। लिहाजा, पक्ष आना बाकी है।

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