Saturday, April 19, 2025
spot_img
spot_img

राज्य आंदोलन को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर कथाकार सुभाष पंत ने कहा-अच्छा कदम

More articles

Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

कथाकार सुभाष पंत स्कूलों के पाठ्यक्रम में राज्य आंदोलन को शामिल करने के फैसले से बेहद खुश हैं। वह इसे अच्छा कदम बताते हैं। कहते हैं-शहादत भरे इतिहास की जानकारी हमारे बच्चों को होनी ही चाहिए। उन्हें अपनी विभूतियों के बारे में भी जानना चाहिए।

राज्य सरकार के उत्तराखंड भाषा संस्थान ने एक दिन पहले ही सुभाष पंत को उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान-2024 से नवाजा है। यह संयोग है कि एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने उत्तराखंड आंदोलन को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने के फैसले पर मुहर लगाई है। पंत इस संयोग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। कहते हैं-यह निर्णय वास्तव में बहुत अच्छा है। वह साहित्यकारों के सम्मान और उनके कल्याण के लिए की गई घोषणाओं पर भी खुश हैं। कहते हैं-किसी भी क्षेत्र की पहचान साहित्यकारों से ही होती है। अपनी बात के समर्थन में वह रवींद्र नाथ टैगौर और बंगाल का जिक्र भी करते हैं। कहते हैं-साहित्यकारों की आर्थिक मजबूती पर भी ध्यान जा रहा है, यह अच्छी बात है।

सुभाष पंत की कृतियों की लंबी फेहरिस्त है। एक रात का फासला, छोटा हुआ आदमी, एक का पहाड़ा, पहाड़ चोर, मुन्नी बाई की प्रार्थना, पहाड़ की सुबह, सुबह का भूला, सिंगिंग बेल, इक्कीसवीं सदी की एक दिलचस्प दौड़ जैसी कृतियों ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। एक बातचीत में उन्होंने कहा-कैसा भी दौर रहा हो, सृजन कभी रूकता नहीं है। यात्रा हमेशा आगे ही बढ़ती है, पीछे नहीं लौटती। वह कहते हैं-नए साहित्यकारों को अब मंच मिल रहा है। यह शुभ संकेत हैं। वह बातचीत में उत्तराखंड भाषा संस्थान की तारीफ भी करते हैं। कहते हैं-वहां क्रिएटिव लोगों के आने के बाद से माहौल बदल रहा है।

-Advertisement-

Download Appspot_img
spot_img
spot_img
error: Content is protected !!