Thursday, April 3, 2025
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 12 अक्टूबर को देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर उत्तराखण्ड के छोलिया और झौडा लोक नृतकों की ढोल दमाऊँ लोक वाद्यों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 12 अक्टूबर को देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर उत्तराखण्ड के छोलिया और झौडा लोक नृतकों की ढोल दमाऊँ लोक वाद्यों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है। यह जानकारी देते हुये निदेशक संस्कृति विभाग द्वारा बताया गया है कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में समुद्र तल से 5338 फीट (1627) मीटर की आश्चर्यजनक ऊँचाई पर एक अनोखा और ऐतिहासिक कार्यक्रम संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित किया गया। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहला कार्यक्रम था जिसमें जनपद पिथौरागढ़ के सुदूरवर्ती अंचलों से छोलिया एवं झौड़ा नृत्यक दल के लगभग 3000 लोक कलाकारों द्वारा अपनी पारम्परिक वेश-भूषा एवं लोक गीतों के माध्यम से विश्व का ध्यान उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक एवं समृद्धशाली लोक सांस्कृतिक विरासत की ओर आकर्षित किया हिमालय के हृदय सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में एक असाधारण एवं अभूतपूर्व घटना दुनिया को देखने को मिली।

उन्होंने कहा कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ सुदूरवर्ती अंचलों से लगभग 3000 की संख्या में पहुँचे छोलिया एवं झौड़ा नृत्य दलों के लोक कलाकार अपनी पारम्परिक परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर प्रतिभाग करने पहुँचे तथा इस दौरान लोक गीतों एवं पारम्परिक लोक वाद्यों की धुनों से पूरा पिथौरागढ़ क्षेत्र गुज्यमान हो उठा उत्तराखण्ड की समृद्ध लोक सांस्कृतिक विरासत को देखकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भाव विभोर हो गये। जनपद पिथौरागढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं शान्त वातावरण के लिये ख्यतिलब्ध है। यहाँ हिमालय की ऊँचे-ऊचें हिम शिखर एक सजग पहरी के भाँति अडिग रहते हैं वहीं यह सीमान्त जनपद उत्तराखण्ड की छोलिया एवं झौड़ा लोक नृतक का सबसे बड़ा जमावड़े का केन्द्र रहा। उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक वाद्यों जैसे तुन, रणसिंघा, नागफनी, छोलिया ढाई व तलवार जैसे अन्य लोक वाद्य यन्त्रों ने पूरी घाटी को सुशोभित कर दिया।

निदेशक संस्कृति ने कहा कि जनपद पिथौरागढ़ के सीमान्त गांवों से आये हजारों लोक कलाकारों की जीवन्त एवं विविध संस्कृतियों उनकी साझा विरासत का जीवन्त परिचय इस कार्यक्रम में देखने को मिला। लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन कर लोगों को मन्त्रमुग्ध कर दिया हिमालय पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में आयोजित इस वृहद उत्सव ने इसे वास्तव में एक उल्लेखनीय और पहले कभी न देखा गया दृष्य बना दिया। इस कार्यक्रम में सीमान्त क्षेत्र की पारम्परिक एवं ऐतिहासिक लोक सांस्कृतिक विरासत की अदम्य भावना का प्रदर्शन किया गया लोक कलाकार अपनी पारम्परिक परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर प्रतिभाग करने पहुँचे तथा इस दौरान लोक गीत एवं पारम्परिक लोक वाद्यों की धुनों से पूरा पिथौरागढ़ क्षेत्र गुज्यमान हो उठा।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन का सफल क्रियान्वयन संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड एवं भारत सरकार की दूरदर्शिता और समर्पण का प्रमाण है, इतनी ऊँचाई पर लोक कलाकारों के इस विशाल जमावड़े से उत्तराखण्ड की अनूठी संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। इस ऐतिहासिक सभा में जहाँ उत्तराखण्ड की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत, लोक परम्पराओं एवं अदभूत प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय ऊँचाई समुद्र तल से 5338 फीट (1627) मीटर पर ढोल दमाऊ एवं अन्य विभिन्न पारम्परिक वाद्यों एवं लोक संगीत पर प्रदर्शन करने वाले छोलिया और झौड़ा लोक नर्तकों द्वारा एकत्रित होकर एक विश्व रिकार्ड बनाया है, जो इतिहास के पन्नों पर एक ऐसे आयोजन के रूप में दर्ज किया जायेगा।

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