Thursday, April 10, 2025
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वन आनुवंशिक संसाधन प्रलेखन, विशेषता और संरक्षण’ पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के राज्य वन विभाग के लिए एक अनुभव साझा कार्यशाला का आयोजन

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Vijaya Dimri
Vijaya Dimrihttps://bit.ly/vijayadimri
Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

वन अनुसंधान संस्थान(एफआरआई) देहरादून ने ‘वन आनुवंशिक संसाधन प्रलेखन, विशेषता और संरक्षण’ पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के राज्य वन विभाग के लिए एक अनुभव साझा कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के राज्य वन विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 70 प्रतिनिधियों / अधिकारियों और एफआरआई के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। एफआरआई ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय-कैम्पा प्राधिकरण द्वारा प्रायोजित वन आनुवंशिक संसाधन विशेषता और उत्तराखंड के संरक्षण पर एक पायलट परियोजना को क्रियान्वित किया। परियोजना के मुख्य परिणामों पर उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। कार्यशाला में एफआरआई के वैज्ञानिकों ने पहचान, डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में दस्तावेजीकरण, पर्यावरण-वितरण मानचित्रण, आनुवंशिक विविधता और जैव-रासायनिक लक्षण वर्णन, रोग सर्वेक्षण, प्रसार तकनीकों के विकास के माध्यम से उत्तराखंड के वन आनुवंशिक संसाधनों के आकलन पर जानकारी साझा की।कार्यशाला आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य वानिकी प्रजातियों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक संरक्षण योजनाओं को विकसित करने के लिए एफजीआर के ज्ञान आधार को साझा करना था। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की मूल श्रेणी में आनुवंशिक रूप से विभेदित जर्मप्लाज्म विकसित करने के लिए नई तकनीकों पर चर्चा की गई और उन अंतरालों का भी आकलन किया गया जिन्हें प्रौद्योगिकी के विकास और हस्तांतरण के लिए पहचाना गया है। इस अवसर पर श्री चंद्र प्रकाश गोयल महानिदेशक वन और सरकार के विशेष सचिव,MoEFCC, श्री अरुण सिंह रावत महानिदेशक आईसीएफआरई, श्री सुभाष चंद्रा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय प्राधिकरण-कैम्पा, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और डॉ. एच.एस. जिनवाल, राष्ट्रीय परियोजना समन्वयक-एफजीआर ने प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उपस्थित एफआरआई के वैज्ञानिक डॉ. एन.के. उप्रेती, जीसीआर एफआरआई, डॉ अजय ठाकुर, डॉ मनीषा थपलियाल, डॉ अनूप चंद्र, डॉ अमित पांडे, डॉ वी.के. वार्ष्णेय, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. रंजना, डॉ. रमाकांत, और डॉ. पी.एस. रावत मौजूद थे। प्रतिवेदक डॉ. एम.एस. भंडारी और श्री आर के मीणा सहित अन्य वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र भी संगोष्ठी में उपस्थित थे।

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