देहरादून: शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य सरकार ने देवस्थानम बोर्ड की अचानक बैठक बुलाई गई तो तीर्थ-पुरोहितों को उम्मीद जगी कि शायद उनके हक में कोई निर्णय होगा। लेकिन बैठक में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने पर फैसला तो दूर की बात इस मुद्दे पर कोई चर्चा तक नहीं हुई।
लेकिन बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में जरूर मुख्यमंत्री के हवाले से बताया गया है, ‘मंदिरों में पुरानी परम्पराएं चलती रहेंगी। राज्य सरकार का कार्य मंदिर की आन्तरिक व्यवस्थाओं पर अधिकार करना नहीं बल्कि सहयोग करना है। हमारा उद्देश्य मंदिर परिसरों की सुविधाओं के विकास में सहयोगी बनना है। उन्होंने सभी सदस्यों से इस सम्बंध में सभी हो अवगत कराने की भी अपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी संबंधित लोगों से वार्ता भी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा संचालित न होने की दशा में आवश्यकता पड़ने पर बोर्ड को अतिरिक्त वित्तीय सहायता दिए जाने पर भी विचार किया जाएगा, इसके लिए मुख्यमंत्री वे संशोधित प्रस्ताव प्रेषित करने को कहा।’
बोर्ड भंग कराने को लेकर संघर्ष कर रहे तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को इस बैठक से जो उम्मीदें थी वह धराशायी हो गई हैं। बोर्ड बैठक में तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर चर्चा ही नहीं हुई फिर बोर्ड भंग करना तो बहुत दूर की बात है। अब तीर्थ-पुरोहित देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ अपने संघर्ष को और व्यापक और उग्र आंदोलन में तब्दील करने का ऐलान कर दिया है। 23 जुलाई को उत्तरकाशी में जन आक्रोश रैली होगी और जिसमें आगे की रणनीति बनाकर काम होगा ।