Saturday, February 8, 2025
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हिमालय का लोक संगीत में देवत्व की शक्ति

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Vijaya Dimri
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Editor in Chief of Uttarakhand's popular Hindi news website "Voice of Devbhoomi" (voiceofdevbhoomi.com). Contact voiceofdevbhoomi@gmail.com

पदमश्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि दुनिया के तमाम देश अपने लोक की ओर वापस लौट रहे हैं। लोक में सभ्यता को जीवित रखने की शक्ति मौजूद है। कहा कि लोक को जीवंत रखने के लिए राज्य में लोकगीत और संगीत पर आधारित कोर्स संचालित किए जाने चाहिए।  उन्होंने यह बात ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में आयोजित राज्यस्तरीय संगीत शिक्षक प्रतिभा सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही

भरतवाण ने कहा कि हिमालय का लोक संगीत में देवत्व की शक्ति है। जो कि अन्तः चेतना को जाग्रत कर हमारे अंतर में देवत्व को जगा देता है। कहा कि छात्रों में लोक और संगीत के प्रति रुचि पैदा करने के लिए वातावरण तैयार किया जाना चाहिए। वर्तमान विकास पर कहा कि विकास का अर्थ भौतिक विकास से ही नहीं, बल्कि अन्तः चेतना के विकास से भी है।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद शिक्षकों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करना है। ताकि परम्पराएं जीवंत रहें और नई पीढ़ी तक पहुंच सकें। कहा कि गायन, वादन और नृत्य एक यौगिक क्रिया है। यह शरीर, मन और प्राण का योग होता है।  निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण आरके कुंवर ने कहा कि संगीत की प्रतिभा जन्मजात होती है। जिसे लगातार अभ्यास के द्वारा निखारा जाता है। ऐसे कार्यक्रम प्रतिभाओं के प्रोत्साहन की दृष्टि से उपयोगी हैं। कहा कि बीते दो वर्षों से इस कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल रहा है।

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कैप्टन हिमांशु धूलिया और ब्रिगेडियर ओपी सोनी ने नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृति और कला के संरक्षण पर विशेष बल दिए जाने को छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए लाभदायक बताया। निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल ने बताया कि कार्यक्रम विद्यालय से राज्य स्तर तक विभिन्न चरणों में संपन्न होता है। जिसमें शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, शास्त्रीय वादन और नृत्य पर आधारित प्रस्तुतियां दी जाती हैं।

 

निदेशक, माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. उषा कटियार ने प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए राम का गुणगान करिए भजन प्रस्तुत किया। दो दिवसीय आयोजन में प्रदेशभर से 38 शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। पहले दिन गायन और वादन की प्रस्तुति दी गई। जबकि कल नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी।                                                               समारोह में अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, विभागाध्यक्ष प्रदीप रावत, उप निदेशक राय सिंह रावत, विभागाध्यक्ष सीमैट विनोद ढौंडियाल, सहायक निदेशक एससीईआरटी अनिता द्विवेदी, प्रवक्ता देवराज राणा, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. रमेश पंत, शिवप्रकाश वर्मा, डॉ. उमेश चमोला, डॉ. अंकित जोशी, विनय थपलियाल, डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. शशि शेखर मिश्र, डॉ. नंदकिशोर हटवाल, रेनू चौहान, मोनिका गौड़, डॉ. बिन्दु नौटियाल, राकेश नौटियाल, सोहन नेगी, दिनेश चौहान, सुनीता उनियाल, राज कुमार, सरोप सिंह राणा, सुरेन्द्र, स्वाति लिंगवाल, हिमानी भट्ट आदि मौजूद रहे।

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