गढ़वाल की लक्ष्मी बाई और महान वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती उनकी जन्मस्थली एकेश्वर के ग्राम गुराड में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर महान वीरांगना को नमन किया।वीरांगना की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में दूरदराज की महिलाओं ने शिरकत की। इस मौके पर वक्ताओं ने सरकार से तीलू रौतेली की जीवन गाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। विभिन्न क्षेत्रों से पहुँचे लोगों ने तीलू रौतेली की मूर्ति में माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और महिलाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की।
इस मौके पर उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए ग्राम गुराड़ के पूर्व प्रधान सुनील रावत ने कहा कि वीरबाला नारीशक्ति की एक मिशाल है। नारी पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। तीलू रौतेली नारीशक्ति की प्रेरणास्रोत है।उन्होंने कहा कि महान वीरांगना तीलू रौतेली का जन्म जनपद पौड़ी के वीरों के गढ़ चौंदकोट के एकेश्वर ब्लाक के ग्रामसभा गुराड़ में आठ अगस्त 1661 को भूप सिंह रावत और मैणावती रानी के घर हुआ। उनके पिता भूप सिंह गढ़वाल नरेश फतहशाह के दरबार में थोकदार थे। तीलू के दो भाई भगतु और पत्वा थे। वह उनकी आँखों का तारा थी। बचपन में लोग उनको तिलोत्तमा देवी के नाम से पुकारते थे।
वह बचपन से साहसी व पराक्रमी थी। जब वह 15 वर्ष की थी तो उनकी मंगनी ग्राम ईडा, चौंदकोट(एकेश्वर) के थोकदार भूम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ हुई। इसी दौरान व युद्ध कला में निपुण हो चुकी थी। वह घुड़सवारी और तलवार बाजी में निपुण हो गई थी। उस समय गढ़नरेशों और कत्यूरियों में पारस्परिक प्रतिद्वंदिता चल रही थी। कत्यूरी नरेश धामदेव ने जब खैरागढ़ पर आक्रमण किया तो गढ़नरेश मानशाह वहां की रक्षा की जिम्मेदारी भूप सिंह को सौंपकर खुद चांदपुर गढ़ी में आ गया। इसके बाद दुश्मनों ने वहां आक्रमण कर दिया। भूप सिंह ने डटकर आक्रमणकारियों का मुकाबला किया। वह इस युद्ध में अपने दोनों बेटों और तीलू के मंगेतर के साथ वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहीद हो गए। इसके बाद तीलू ने अपने परिवार के हत्या का बदला लेने के लिए रणभूमि में कूद गई।
उन्होंने सात वर्ष तक लड़ते हुए खैरागढ, टकौलीगढ़, इंडियाकोट भौनखाल, उमरागढी, सल्टमहादेव, मासीगढ़, सराईखेत, उफराईखाल, कलिंकाखाल, डुमैलागढ, भलंगभौण व चौखुटिया सहित 13किलों पर विजय पाई। 15 मई 1683 को विजयोल्लास में तीलू अपने अस्त्र शस्त्र को नयार नढ़ी के तट पर रख नदी में नहाने उतरी, लेकिन तभी दुश्मन के एक सैनिक ने उन्हें धोखे से मार दिया। इस मौके पर गुराड़ में महिला मंगल दलों समेत कई सांस्कृतिक टीमों ने तीलू रौतेली की वीरता को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस मौके पर ग्राम प्रधान किरन रावत ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रधान गुराड़ तल्ला सुनील रावत ने किया। इस मौके पर किरण रावत, शिवेंद्र रावत, धीरज रावत,जयदीप सिंह नेगी, महिपाल सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह रावत,प्रेमचन्द्र कलयुगी, राकेश हिंदवाण, महिला मंगलदल अध्यक्ष नन्दा देवी समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।तीलू रौतेली के नाम पर उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं और किशोरियों के लिए तीलू रौतेली राज्य स्त्री पुरस्कार की शुरुआत की है।