हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोरोना सैंपलों की जांच का काम लैब की बजाए एक आउटसोर्सिंग एजेंसी को दे दिया गया। जबकि नियमों के तहत एजेंसी को टेस्टिंग का काम दिया जा सकता था। यह मामला सामने आने के बाद अब मेलें में तैनात अधिकारियों की मुश्किल बढ़ सकती है। महाकुंभ के दौरान कोरोना की फर्जी रैपिट एंटीजन जांच रिपोर्ट देने के मामले में हरिद्वार में तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से मैक्स कारपोरेट सर्विस एक आउटसोर्स एजेंसी है। इस एजेंसी ने मेला प्रशासन से टेस्टिंग का काम लिया उसे नलवा और डॉ लालचंदानी नाम की दो लैब को दे दिया। आईसीएमआर के नियमों के अनुसार कोविड टेस्टिंग का काम केवल उन्हीं लैब को दिया जा सकता है जो आईसीएमआर और एनएबीएल एप्रूव्ड हों।
जबकि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार जिस लैब को राज्य में कोविड सैंपलिंग का काम दिया जाएगा उसके लिए आईसीएमआर व एनएबीएल एप्रूव्ड होने के साथ ही क्लीनिकल इस्टेब्लिसमेंट एक्ट में पंजीकृत होना और पैथोलॉजिस्ट के लिए पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने कहा कि राज्य में वही लैब कोरोना सैंपलिंग कर सकती है जो आईसीएमआर और राज्य सरकार की शर्तों का पालन करती हों। उन्होंने कहा किा हरिद्वार में एजेंसी से कैसे सैंपलिंग का करार कर लिया गया यह उनकी जानकारी में नहीं है। कोरोना जांच फर्जीवाड़े की जांच के लिए एसआईटी गठित होने के बाद अब अधिकारियों तक इसका घेरा बढ़ सकता है। इस मामले में एसआईटी ने जिम्मेदार अधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी है।