ताज़ा प्रकरण में जानकारी यह है कि एक सहायक अद्यापक की प्रतिनियुक्ति सहायक कुलसचिव पर होने के बाद शिक्षक समाज मे रोष बढ़ता ही जा रहा है। क्योंकि पूर्व में भी कई प्रतिनियुक्ति इसलिए रद्द की गई क्योंकि विद्यालयों में शिक्षको की कमी बताई गई थी। माननीय शिक्षा मंत्री भी कई मौकों इस तरह की प्रतिनियुक्तियो को ठीक नही बताते हैं। बी आर पी/ सी आर पी में नियुक्त शिक्षको को भी उनके मूल विद्यालयों में इसीलिए वापस भेजा गया था कि विद्यालयों में शिक्षको की कमी न रहे। उत्तराखंड के अधिकांश विद्यालय पहले ही शिक्षको की कमी से गुजर रहे हैं जहां अतिथि शिक्षकों से शिक्षण कार्य संपादित किया जा रहा है यहाँ तक कि प्रधानाचार्य के पद भी अधिकांश विद्यालयों में रिक्त ही चल रहे हैं। फिलहाल देखना यह होगा कि क्या शिक्षा विभाग उक्त सहायक अद्यापक को एन ओ सी प्रदान करेगा या नही।