डा. बृजेश सती/ वरिष्ठ पत्रकार
मौजूदा समय में देशभर के प्रमुख मंदिर एवं देवस्थान श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। कुछ राज्यों ने कोविड गाईड लाइन जारी कर सीमित संख्या में यात्रियों को दर्शन की अनुमति दी है। लेकिन उत्तराखंड के चार धाम इसके अपवाद हैं। यहां कोविड- संक्रमण कम होने के बावजूद भी श्रदालुओं को मंदिरों के दर्शन की अनुमति नहीं है। आलम यह है कि स्थानीय लोग भी अपने आराध्य के दर्शन को तरस रहे हैं । इससे गुस्साए तीर्थ पुरोहित ,हकहकूकधारी एवं स्थानीय लोग सड़कों पर संघर्ष के लिए मजबूर हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि चार धाम यात्रा खोले जाने को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इससे संबंधित मामला विचाराधीन है और यही सरकार की सर दर्द का कारण भी है । कोविड- के चलते पिछले यात्रा काल में भी श्रद्धालु मई जून माह में चार धामों के दर्शन नहीं कर पाए थे । लेकिन 8 जुलाई से यह यात्रा खोल दी गई थी । इस यात्रा काल में अभी तक श्रद्धालु धामों के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं । स्थानीय लोगों को भी नहीं जाने दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यधारा के दोनों दल भाजपा व कांग्रेस रैलियों कर रहे हैं । जहां सत्ताधारी भाजपा जन आशीर्वाद यात्रा का आयोजन कर रही है तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस परिवर्तन यात्रा कर रही है । फिर सवाल यह उठता है कि उत्तराखंड के चार धामों में स्थानीय लोगों एवं तीर्थ यात्रियों के प्रवेश पर रोक क्यों।
कोविड-19 इसकी वजह है या यात्रा को लेकर सरकार और देवस्थानम बोर्ड गंभीर नहीं है। 18 मई तक चारों धामों के कपाट खोल दिए गए थे। इन 3 महीनों में सरकार यात्रा खोलने को लेकर गंभीर क्यों नहीं रही ।सरकार की ओर से यात्रा को लेकर समय पर पुख्ता तैयारी न किए जाने के बाद चार धाम यात्रा को लेकर मामला हाईकोर्ट में गया । इस पर सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की । सरकार न्यायालय के निर्णय का इंतजार कर रही है।
यदि बात करें देश के अन्य राज्यों के प्रमुख मंदिर एवं देव स्थलों की तो अधिकांश देवस्थान श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए हैं । हरियाणा में 15 जून से सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ प्रमुख देवस्थान खुल गए। वहीं मध्य प्रदेश के महाकाल मंदिर को 28 जून तथा खंडवा में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को 15 जून से श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। दक्षिण भारत के कई प्रमुख मंदिर भी श्रद्धालुओ के लिए खोल दिए गए हैं।
दूसरी ओर चारों धामों के तीर्थ पुरोहित,हकहकूकधारी एवं स्थानीय लोग चार धाम यात्रा खोले जाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इतना ही नहीं बदरीनाथ में मोनी बाबा 1 सितंबर से से आमरण अनशन कर रहे हैं। बद्ररीश संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेश मेहता का कहना है कि सरकार की चार धाम यात्रा खोलने को लेकर कोई नीति नहीं है और यही कारण है कि तीर्थ पुरोहित व स्थानीय लोग सड़कों पर संघर्ष के लिए मजबूर हैं। ब्रहमकपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत समिति के अध्यक्ष उमेश सती का कहना है कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है। एक ओर देश भर के सभी तीर्थ स्थल श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए हैं ,लेकिन उत्तराखंड के चार धाम श्रद्धालुओं के लिए अभी भी बंद हैं।